जानिए क्या होता है हर्सुटिज्म, कैसे किया जाता है इस बीमारी से ग्रसित का इलाज
कुछ महिलाओं को चेहरे पर अनचाहे बाल आ जाते हैं, जो उनकी सुंदरता को कम करते हैं, साथ ही यह मानसिक तौर पर भी परेशान करते हैं। महिलाओं में होने वाली इस समस्या को मेडिकल भाषा में हर्सुटिज्म कहा जाता है। इसमें पुरुषों की ही तरह महिलाओं को भी ठोड़ी, गाल, होंठ, छाती, पेट और पीठ पर बाल आने लगते हैं और यह बाल काफी घने और काले दिखाई देते हैं। इस समस्या के पीछे क्या कारण होता है और इसका क्या उपचार है, आइए जानते हैं -

हर्सुटिज्म के लक्षण
हर्सुटिज्म में महिलाओं के चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों में काले और घने बाल होते हैं और यह बाल महिलाओं के अधिकतर उन हिस्सों पर होते हैं, जहां आमतौर पर महिलाओं को बाल नहीं आते हैं। महिलाओं को सामान्य रूप से जांघ, पेट, छाती और पीठ के हिस्सों में कभी बाल नहीं होते हैं। लेकिन हर्सुटिज्म की समस्या से ग्रसित महिलाओं को इन हिस्सों पर बाल उगने का सामना करना पड़ता है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण होता है महिलाओं में एंड्रोजन हार्मोन का लेवल बढ़ना। यह हार्मोन जब महिला में बहुत अधिक बढ़ जाता है तो उनमें पुरुषों की तरह बाल आने लगते हैं और पुरुषों की तरह अन्य शारीरिक लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं। इस प्रक्रिया को पौरुषीकरण कहते हैं। इनमें महिला में अन्य लक्षण जैसे आवाज का गहरा होना, स्तनों का आकार कम होना, मांसपेशियाों का बढ़ना, मुंहासे होना, गंजापन आना, क्लाईटोरिस का बढ़ना आदि हो सकते हैं।
हर्सुटिज्स होने के कारण
- हर्सुटिज्म का सही कारण तो ज्ञात नहीं हो पाता है, लेकिन कुछ ऐसी बातें है, जो महिलाओं में इस समस्या को जन्म दे सकते हैं। जिन महिलाओं को पॉलिसिस्टिक ओवेरियम सिंड्रोम की समस्या है तो उनमें अधिक मात्रा में एंड्रोजन हार्मोन विकसित होता है। पीसीओएस से ग्रसित महिला को मासिक धर्म का रूकना, वजन बढ़ने जैसी समस्याएं भी हो सकती है।
- हर्सुटिज्म होने का कारण वंशानुगत भी होता है। इसमें जीन का विशेष महत्व होता है। यदि पारिवारिक सदस्य महिला को ऐसी समस्या है तो उनसे बच्चों में यह बीमारी हस्तांतरित होगी। परिवार में यदि मां को यदि यह बीमारी है तो बेटी की शारीरिक स्थिति पर हमेशा नजर रखना चाहिए, अन्यथा भविष्य में हर्सुटिज्म हो सकता है। ऐसे में वैवाहिक संबंधों में भी परेशानी आती है।
- कुछ दवाओं के सेवन से भी हर्सुटिज्म की समस्या होती है। यदि महिला अपने उपचार के लिए टेस्टोटोरोन, फिनाइटोइन, ग्लूकोर्टिकोइड्स, डेनाजोल, मिनोक्सीडील, साइक्लोस्पोरिन आदि दवाओं का सेवन कर रही हैं तो इससे भी शरीर में एंड्रोजन हार्मोन विकसित होने लगते है, जिससे हर्सुटिज्म का सामना करना पड़ता है।
ये है हर्सुटिज्म का इलाज
हर्सुटिज्म के इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। महिलाओं के शरीर में एंड्रोजन हार्मोन का स्तर चेक करने के बाद ही डॉक्टर सही दवा लिख सकते हैं। यह दवाएं शरीर में बढ़े हुए एंड्रोजन हार्मोन्स को कम करता हैं। इन दवाओं में कुछ गर्भ निरोधक गोलियां भी दी जाती हैं, जो एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन हार्मोन से युक्त होती हैं। यह हर्सुटिज्म के इलाज में काफी सहायक होती हैं। इन दवाओं से ठीक होने में छ: महीनों का समय लग सकता है।
टैग: