जानिए महिलाओं में क्यों होती है एंडोमेट्रिओसिस की बीमारी, ऐसे करें बचाव
एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं में होने वाली गर्भाशय से संबंधित समस्या है। इसमें गर्भाशय के भीतर पाए जाने वाला टिशू बढ़कर गर्भाशय के बाहर निकलने लगता है और फैलने लगता है। यह फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय के बाहरी और अंदरूनी हिस्सों में भी फैलने लगता है। इससे महिलाओं को तेज दर्द महसूस होता है। विशेषकर जब उनका मासिक चक्र आता है, तब अधिक दर्द होता है। यह ऊतक गर्भाशय के अंदर वाले ऊतक की तरह ही होता है, लेकिन मासिक चक्र के समय यह बाहर नहीं निकल पाता है, जिसके कारण दर्द होने लगता है। इस समस्या के कारण महिलाओं में प्रजनन क्षमता भी कम हो सकती है। आइए जानते हैं की एंड्रियोमेट्रिओसिस की समस्या क्यों होती है और इससे बचाव कैसे किया जा सकता है -

एंडोमेट्रिओसिस होने के कारण
- एक कारण होता है रेट्रोग्रेड मासिक चक्र, जिसमें मासिक धर्म के रक्त में एंडोमेट्रियल कोशिकाएं होती हैं, आमतौर पर शरीर से बाहर नहीं निकल पाती हैं बल्कि यह फैलोपियन ट्यूब से पैल्विक केविटी में वापस प्रवाहित होने लगती हैं। ये एंडोमेट्रियल कोशिकाएं सभी पेल्विक अंगों पर चिपक जाती है और मासिक धर्म चक्र के दौरान ब्लीडिंग शुरू कर देती हैं।
-दूसरा कारण पेरिटोनियल कोशिकाओं का बदलना भी हो सकता है, जिसे इंडक्शन थ्योरी भी कहा जाता है। पेरिटोनियल कोशिकाओं में बदलाव होने के कारण एंडोमेट्रियोसिस होने की संभावना होती है।
- जब कोशिकाओं के भ्रूण में परिवर्तन होता है, तब एंडोमेट्रिओसिस की समस्या हो सकती है। इसमें एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन शुरुआती अवस्था में भ्रूण की कोशिकाओं को परिवर्तित कर सकते हैं।
- जब किसी प्रकार की सर्जरी कराई जाती है, जैसे सी-सेक्शन या हिस्टेरेक्टॉमी जैसी सर्जरी कराने पर एंडोमेट्रियल कोशिकाएं सर्जरी के चीरे से चिपक सकती हैं।
- एक सबसे बड़ा कारण कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली भी हो सकती है। इसके कारण एंडोमेट्रियल ऊतक को यह प्रतिरक्षा प्रणाली नष्ट नहीं कर पाती हैं।
एंडोमेट्रिओसिस से ऐसे करें बचाव
शरीर में एंडोमेट्रियोसिस होने की संभावना एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर के बढ़ने के कारण होती है। लेकिन यदि एंडोमेट्रियल की समस्या हो रही है तो इसे रोक पाना मुश्किल है, इसलिए शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन को कम करके एंडोमेट्रियोसिस होने की संभावना से बचाव किया जा सकता है। दरअसल एस्ट्रोजन मासिक धर्म चक्र के समय गर्भाशय की लाइनिंग को मोटा कर देता है। इसके लिए हार्मोनल गर्भनिरोधक दवाओं या गर्भनिरोधक उपचारों के माध्यम से एस्ट्रोजन का लेवल कम किया जा सकता है लेकिन बिना किसी चिकित्सक के परामर्श के यह दवाएं बिल्कुल ना लें। चिकित्सक से सलाह लेकर यह उपचार किया जा सकता है। नियमित रूप से व्यायाम करने से भी एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल कम किया जा सकता है। दरअसल मोटापा भी एस्ट्रोजन हार्मोन के बढ़ने का कारण हो सकता है। इसके अतिरिक्त कैफीन युक्त पदार्थों का सेवन भी कम करना चाहिए। चाय, काफी या अन्य कोई कैफीन पदार्थ लेने की आदत है तो इसे तुरंत ही छोड़ दें क्योंकि कैफीन युक्त पदार्थ भी शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन के लेवल को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा ऐसी महिलाओं को अपनी डाइट का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। नियमित 40 मिनट तक व्यायाम जरूर करना चाहिए और आहार में फाइबर और प्रोटीन युक्त आहार जरूर लेना चाहिए।
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